पाकिस्तान ऑक्यूपाइड जम्मू-कश्मीर (PoJK) में बढ़ते असंतोष की लहर अब राजधानी इस्लामाबाद तक फैल गई है। गुरुवार को नेशनल प्रेस क्लब (NPC) में आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कथित तौर पर हिंसक कार्रवाई की, जिसमें लाठीचार्ज और मीडिया उपकरणों को नुकसान पहुँचाने की घटनाएँ सामने आई हैं।
विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य
यह प्रदर्शन कश्मीर एक्शन कमेटी द्वारा आयोजित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य PoJK में कथित अत्याचार, अधिकारों का हनन और इंटरनेट ब्लैकआउट के खिलाफ आवाज उठाना था। आयोजकों ने इसे पूरी तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शन बताया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों का मकसद केवल लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और कश्मीरियों की आवाज को विश्व के सामने लाना था।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के दौरान इस्लामाबाद पुलिस ने NPC परिसर में जबरन प्रवेश किया और प्रदर्शनकारियों पर हमला किया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और कई पत्रकारों के कैमरे, माइक्रोफोन और अन्य मीडिया उपकरण क्षतिग्रस्त कर दिए।
कई पत्रकारों ने अपने वीडियो और फोटो के माध्यम से यह साबित किया कि पुलिस की कार्रवाई बिना किसी उकसावे के हुई। प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे थे।
पुलिस के इस क़दम ने पूरे देश में सुनवाई और आक्रोश बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और फोटो यह दिखा रहे हैं कि पुलिस ने न केवल प्रदर्शनकारियों बल्कि पत्रकारों के उपकरणों को भी लक्षित किया।
मानवाधिकार संगठनों और पत्रकारों की प्रतिक्रिया
- मानवाधिकार संगठन ने इस कार्रवाई को लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस स्वतंत्रता पर हमला बताया।
- कई पत्रकारों और मीडिया हाउस ने इसे गंभीर चिंता की बात कहा और सरकार से जवाब मांगा।
- स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इस घटना को प्रमुखता से कवर किया, जिससे पाकिस्तानी प्रशासन पर दबाव बढ़ा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि NPC पर हुई पुलिस कार्रवाई केवल एक प्रदर्शन को दबाने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्र मीडिया और नागरिक अधिकारों पर बढ़ते हमले का संकेत है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि ऐसे हमले जारी रहे, तो पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
नेशनल प्रेस क्लब पर पुलिस की यह कार्रवाई Pakistan Occupied Jammu & Kashmir (PoJK) में जारी असंतोष और अधिकारों की लड़ाई के प्रतीक को दबाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है। यह घटना दर्शाती है कि पाकिस्तान में नागरिकों और पत्रकारों की आवाज़ उठाने की स्वतंत्रता संवेदनशील और संकटपूर्ण स्थिति में है।
