लखनऊ। दीपोत्सव-2025 इस वर्ष केवल आस्था और प्रकाश का पर्व नहीं रहा, बल्कि यह युवा रचनात्मकता और प्रतिभा का भी मंच बन गया। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित निबंध, कविता और चित्रकला प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने विजेता प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए, जबकि अन्य चयनित प्रतिभागियों को पुरस्कार डाक के माध्यम से भेजे जाएंगे। इस अवसर पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि दीपोत्सव की भव्यता के साथ-साथ इस प्रकार की रचनात्मक प्रतियोगिताएँ युवाओं में संस्कृति, कला और अध्यात्म के प्रति गहरी रुचि उत्पन्न करती हैं।
प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागी
निबंध प्रतियोगिता में आरुषि ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, देवांश दोराश्री द्वितीय और आदित्य धनराज तृतीय स्थान पर रहे।
चित्रकला प्रतियोगिता में शरवरी खरे प्रथम, रीतू वर्मा द्वितीय और रोहन यादव तृतीय स्थान पर रहे। वहीं, कविता प्रतियोगिता में अनुष्का महावर ने प्रथम, हिमानी पांडे ने द्वितीय और सत्यदेव मिश्र ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दीपोत्सव न केवल धार्मिक उत्सव है बल्कि यह युवाओं की सृजनशीलता, सकारात्मक सोच और सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक बन गया है। उन्होंने सभी विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि यह आयोजन नई पीढ़ी को भारतीय परंपरा और कला से जोड़ने का कार्य कर रहा है।
कविता प्रतियोगिता की विजेता हिमानी पांडे ने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा कि “यह मेरे लिए सिर्फ़ एक पुरस्कार नहीं बल्कि प्रेरणा है। दीपोत्सव जैसे आयोजन युवाओं को अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने का अवसर देते हैं।”
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि प्रतियोगिताओं में मिली प्रविष्टियाँ बेहद उत्कृष्ट थीं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष दीपोत्सव-2025 में 26 लाख से अधिक दीपों के प्रज्ज्वलन के साथ युवाओं की ऊर्जा और सहभागिता ने एक नया इतिहास रचा है। “हमारे युवाओं ने जिस उत्साह के साथ भाग लिया, वह दर्शाता है कि दीपोत्सव का संदेश ‘अंधकार पर प्रकाश और विभाजन पर एकता’ हर हृदय में जीवित है।”
दीपोत्सव-2025 ने यह साबित किया कि अयोध्या की असली रोशनी केवल दीपों से नहीं, बल्कि विचारों, प्रतिभा और एकता के उजास से भी फैलती है। यह आयोजन प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उनके भीतर सृजन, अभिव्यक्ति और संस्कृति के प्रति सम्मान की भावना को और प्रबल कर गया
