शशि थरूर ने वंशवाद पर उठाए सवाल, कांग्रेस में बढ़ी हलचल- BJP ने कहा ‘खतरों के खिलाड़ी’
शशि थरूर के एक हालिया लेख ने पार्टी के भीतर सियासी हलचल बढ़ा दी है। वरिष्ठ नेता थरूर ने वंशवाद की राजनीति को भारतीय लोकतंत्र के लिए “गंभीर खतरा” बताया है और कहा कि देश को अब “वंश के बजाय योग्यता को महत्व देने की आवश्यकता” है।
थरूर ने यह लेख अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ‘प्रोजेक्ट सिंडिकेट’ के लिए लिखा है, जिसका शीर्षक है -“Indian Politics Are a Family Business” (भारतीय राजनीति एक पारिवारिक व्यवसाय बन गई है)।
थरूर बोले-वंशवाद से शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है
अपने लेख में शशि थरूर ने कहा कि “जब राजनीतिक सत्ता का निर्धारण योग्यता, प्रतिबद्धता या जनसंपर्क की बजाय वंश के आधार पर होने लगे, तो शासन की गुणवत्ता कमजोर पड़ जाती है।” उन्होंने लिखा कि दशकों से भारत की राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला रहा है, जिसमें केवल एक परिवार नहीं, बल्कि कई क्षेत्रीय दल भी इसी प्रवृत्ति से प्रभावित हैं।
कांग्रेस में उठे असहज सवाल
थरूर के इस बयान के बाद कांग्रेस के भीतर असहज स्थिति बन गई है। पार्टी के कई नेता इसे राहुल गांधी और गांधी परिवार पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी मान रहे हैं। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन अंदरखाने चर्चा तेज है कि थरूर का यह बयान पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाता।
BJP ने साधा निशाना- “थरूर बने खतरों के खिलाड़ी”
भाजपा ने शशि थरूर के लेख को तुरंत भुनाते हुए कांग्रेस पर हमला बोला। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि “थरूर खतरों के खिलाड़ी बन गए हैं, अब देखना यह है कि गांधी परिवार उनके साथ क्या व्यवहार करता है।” भाजपा ने व्यंग्य करते हुए कहा कि कांग्रेस में ‘वंशवाद’ पर बोलना राजनीतिक आत्मघाती कदम है।
थरूर के हालिया विवादों से जुड़ा बयान
थरूर का यह बयान उस समय आया है जब कुछ सप्ताह पहले उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष और पहलगाम आतंकी हमले पर दिए बयानों से पार्टी के भीतर विवाद खड़ा कर दिया था।
उस वक्त कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने थरूर की टिप्पणियों को पार्टी लाइन से अलग बताते हुए उनकी मंशा पर सवाल उठाए थे।
वंशवाद बनाम योग्यता- पुरानी बहस फिर हुई तेज
थरूर के इस लेख के बाद एक बार फिर भारतीय राजनीति में वंशवाद बनाम योग्यता की बहस तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर का यह लेख केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि उन सभी राजनीतिक दलों पर भी सवाल उठाता है जिनमें परिवार-आधारित नेतृत्व का बोलबाला है।
