छत्तीसगढ़: विजयादशमी पर कंबल वाले बाबा ने परोसी हलवा-पूरी, निभाई परंपरा

चिरमिरी (छत्तीसगढ़)। विजयादशमी का पर्व जहां एक ओर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का भी संदेश देता है। इसी कड़ी में हल्दीबाड़ी निवासी ओमप्रकाश गुप्ता ‘बड़कू भैया’, जिन्हें आमजन कंबल वाले बाबा के नाम से जानते हैं, ने दशहरा के अवसर पर लोगों को हलवा-पूरी खिलाकर इस परंपरा को जीवित रखा।

ओमप्रकाश गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “यह परंपरा मेरे दादाजी और पिताजी ने शुरू की थी। विजयादशमी पर लोगों को हलवा-पूरी खिलाना और ठंड के दिनों में कंबल बाँटना हमारे परिवार की परंपरा रही है। मैं सिर्फ उसी परंपरा को निभा रहा हूँ। इसमें मेरे परिवार के सदस्यों और मित्रों का पूरा सहयोग रहता है। मुझे सच्ची शांति और संतुष्टि तभी मिलती है, जब मेरे नगरवासियों के चेहरे पर खुशी दिखाई देती है।”

गुप्ता का मानना है कि समाज में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें रोजाना भरपेट भोजन भी नसीब नहीं होता। “मेरी कोशिश रहती है कि कोई भूखा न रहे। यदि विजयादशमी जैसे शुभ अवसर पर उन्हें हलवा-पूरी का एक भरपेट भोजन मिल जाए और उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाए तो वही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है। भगवान ने जो दिया है, उसमें से कुछ हिस्सा जरूरतमंदों के लिए निकालना ही असली धर्म है।”

कंबल वाले बाबा की पहचान

सर्दियों में हजारों लोगों को कंबल वितरित करने की परंपरा के कारण ओमप्रकाश गुप्ता को लोग कंबल वाले बाबा के नाम से पुकारते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी यह पहल समाज सेवा से जुड़ी है और आने वाले समय में इसे और व्यापक बनाने की योजना है।

हलवा-पूरी का प्रसाद लेने आए लोगों ने ओमप्रकाश गुप्ता के इस प्रयास की जमकर सराहना की। स्थानीय निवासी रीता देवी ने कहा कि “आजकल लोग अपने-अपने जीवन में व्यस्त हैं, लेकिन गुप्ता जी हर साल लोगों को साथ जोड़कर सेवा करते हैं। यह वास्तव में प्रेरणादायक है।”

युवाओं में भी गुप्ता की इस सेवा भावना को लेकर उत्साह देखा गया। कई लोगों का कहना था कि ऐसे कार्यों से समाज में आपसी प्रेम और भाईचारा मजबूत होता है।

ओमप्रकाश गुप्ता ने इस अवसर पर अपील की कि हर व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार समाज की सेवा करनी चाहिए।
“अगर हर कोई थोड़ा-थोड़ा योगदान दे, तो कोई भूखा नहीं रहेगा और न ही कोई ठंड से ठिठुरेगा। भाईचारे और इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है।”

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