आर स्टीफन
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)। सरगुजा संभाग के मार्गों की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है। गड्ढों में तब्दील सड़कों और धूल-मिट्टी से भरे रास्तों ने स्थानीय लोगों का जनजीवन बेहाल कर दिया है। अंबिकापुर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में नागरिकों को आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यही है प्रदेश में चर्चित “ट्रिपल इंजन सरकार” के विकास के वादे?
सड़कों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही
सरगुजा संभाग के अंबिकापुर, लुंड्रा, सीतापुर, बतौली, मैनपाट और उदयपुर क्षेत्रों की कई प्रमुख सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। बारिश के मौसम में हालत और भी खराब हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि गड्ढों से भरी सड़कों पर यात्रा करना रोज़ाना खतरे से खाली नहीं। कई जगहों पर दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी अब तक उदासीन बने हुए हैं।
जनता त्रस्त, अधिकारी मौन
लोगों का आरोप है कि सड़क मरम्मत के नाम पर हर साल टेंडर तो निकलते हैं, पर ज़मीन पर काम नजर नहीं आता। खस्ता सड़कों पर स्कूल जाने वाले बच्चों, मरीजों और ग्रामीणों को सबसे ज़्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। ट्रांसपोर्ट वाहन चालकों को भी बार-बार ब्रेकडाउन और दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद प्रशासन के स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
जनता के सवाल “क्या यही है ट्रिपल इंजन सरकार?”
राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद प्रदेश के कई निकायों में भी भाजपा का नियंत्रण है, इसलिए स्थानीय लोग इसे “ट्रिपल इंजन सरकार” कह रहे हैं। लेकिन अब जनता सवाल पूछ रही है कि जब एक ही पार्टी तीनों स्तरों (केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय) पर सत्तासीन है, तो फिर बुनियादी सुविधाएँ क्यों नहीं सुधर पा रहीं? नागरिकों का कहना है कि बिजली, स्वच्छ पानी और सड़क जैसी बुनियादी जरूरतों में लगातार गिरावट आई है। वहीं भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही को लेकर भी आमजन में आक्रोश है।
बिजली और स्वच्छ पानी को लेकर भी रोष
बिजली बिलों में लगातार बढ़ोतरी और बार-बार कटौती ने ग्रामीण उपभोक्ताओं को परेशान कर रखा है। वहीं कई इलाकों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति बाधित है। हैंडपंप और ट्यूबवेल या तो खराब पड़े हैं या उनमें से दूषित पानी निकल रहा है। लोग मजबूरी में दूषित स्रोतों से पानी पीने को विवश हैं।
अस्पतालों में लापरवाही और भीड़
अस्पतालों में भी अव्यवस्थाएँ हावी हैं। सरकारी अस्पतालों में लंबी कतारें और दवाओं की कमी ने मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है। स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया कि अधिकारी सिर्फ कुछ ‘खास लोगों’ को प्राथमिकता देते हैं, जबकि आम जनता की शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं।
प्रशासनिक जवाबदेही पर उठे सवाल
जनता का कहना है कि वे अपनी समस्याएँ लेकर बार-बार अधिकारियों के पास जाते हैं, लेकिन या तो उन्हें टाल दिया जाता है या लिखित जवाब नहीं मिलता। इससे लोगों में शासन-प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने जिला प्रशासन से सड़कों की मरम्मत और सार्वजनिक सेवाओं को सुधारने की तत्काल मांग की है।
सरगुजा संभाग के लोगों ने मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी से अपील की है कि सड़कों की मरम्मत, जल आपूर्ति और बिजली समस्या के समाधान के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। साथ ही दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि जनता का भरोसा सरकार पर कायम रह सके।
छत्तीसगढ़ की सरगुजा घाटी, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है, आज बदहाल सड़कों, बिजली संकट और अव्यवस्था से जूझ रही है। “ट्रिपल इंजन सरकार” के वादों और जमीनी हकीकत में अंतर साफ दिखाई देता है। जनता अब सिर्फ वादों से नहीं, बल्कि ठोस कार्यों की उम्मीद कर रही है।
