सीएचसी-पीएचसी में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल
सीएमओ ने की थी कार्रवाई की बात, पर हालात जस के तस
रायबरेली। खीरों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में डॉक्टरों की मनमानी लगातार जारी है। अधीक्षक की मिलीभगत से डॉक्टर और कर्मचारी अक्सर अस्पताल से गायब रहते हैं। शिकायतें होने पर उन्हें छुट्टी पर दिखा दिया जाता है और उच्च अधिकारियों के औचक निरीक्षण में भी पहले से लिखी छुट्टी आवेदन पर तारीख डालकर औपचारिकता पूरी कर दी जाती है।
अधीक्षक भी गायब, कर्मचारियों पर जिम्मेदारी
लोगों का आरोप है कि सीएचसी अधीक्षक भी अकसर ड्यूटी से नदारद रहते हैं। उनकी गैरमौजूदगी में अधीक्षक के करीबी कुछ कर्मचारी ही पूरे सिस्टम को संभालते हैं। इनमें सीनियर लैब असिस्टेंट द्विजेंद्र शर्मा क्लर्क का काम करते दिखाई देते हैं, जबकि कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बाहर से आने वालों को यह बताकर टाल देते हैं कि “अधीक्षक किसी जरूरी काम से बाहर गए हैं।”
सेवा पखवाड़ा में भी लापरवाही
27 सितंबर (शनिवार) को आरबीएसके के संविदा डॉ. एस.एच. फारुकी और डेंटल सर्जन डॉ. निधि गौतम अस्पताल से नदारद रहीं। जबकि इसी हफ्ते सोमवार को सशक्त नारी, समृद्ध परिवार कार्यक्रम के तहत चल रहे सेवा पखवाड़ा में डॉ. निधि गौतम अपने ड्यूटी स्थल सेहरामऊ उपकेंद्र पर अनुपस्थित पाई गई थीं।
सेवा पखवाड़ा के दौरान भी कई डॉक्टर सुबह देर से पहुंचे और खाना-पूर्ति करके जल्दी लौट गए।
“जो सिस्टम में रहेगा, उसको बचाना हमारी जिम्मेदारी है” स्थानीय लोगों का कहना है कि नियम विरुद्ध क्लर्क का काम कर रहे सीनियर लैब असिस्टेंट द्विजेंद्र शर्मा खुलेआम कहते हैं कि “जो सिस्टम में रहेगा, उसको बचाने की जिम्मेदारी हमारी है।”
कार्रवाई की मांग
सीएचसी खीरों के अलावा पीएचसी एकौनी, देवगांव, सेमरी, दृगपालगंज और राजकीय महिला चिकित्सालय पाहो से भी डॉक्टरों के गायब रहने की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। सीएमओ डॉ. नवीन चंद्रा पहले ही दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दे चुके हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि अब केवल चेतावनी नहीं बल्कि गंभीर कार्रवाई होनी चाहिए ताकि मरीजों के साथ हो रहा खिलवाड़ रोका जा सके।
