लखनऊ,वाराणसी। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर काशी एक बार फिर आस्था, भक्ति और दिव्यता के महा संगम में बदल गई। गंगा के घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा स्नान किया और पुण्य अर्जित किया। अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक गूंजते वैदिक मंत्र, दीपों की रश्मियाँ और गंगा आरती की भव्यता ने वातावरण को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि “श्रद्धा और संस्कृति ही हमारी असली शक्ति है। काशी न केवल भारत की, बल्कि संपूर्ण विश्व की आध्यात्मिक राजधानी है।” उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में इस वर्ष देव दीपावली को और अधिक भव्य, सुव्यवस्थित और आकर्षक स्वरूप देने के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
गंगा आरती और दीपदान से झिलमिलाई काशी
बुधवार तड़के से ही घाटों पर श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए उमड़ पड़े। सूर्योदय के साथ गंगा तट मंत्रोच्चार, आरती और भक्ति गीतों से गुंजायमान हो उठा। देव दीपावली की तैयारी में पर्यटन विभाग और नगर प्रशासन द्वारा घाटों से लेकर शहर की प्रमुख सड़कों तक रोशनी, फूलों की सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
घाटों पर विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिन्होंने विधि-विधान से गंगा स्नान किया और दीपदान कर भारतीय संस्कृति की भव्यता को नमन किया।
देव दीपावली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि “कार्तिक पूर्णिमा स्नान केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि काशी की जीवंत सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।” उन्होंने कहा कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था और भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष इस दिन काशी में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं, जिससे यह विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बन चुका है।
काशी की देव दीपावली न केवल श्रद्धा का पर्व है, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और सामूहिक आस्था का जीवंत प्रतीक भी है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जगमगाती काशी, गंगा की लहरों पर झिलमिलाते दीपों के माध्यम से विश्व को यह संदेश देती है कि “जहां आस्था है, वहीं असली प्रकाश है।”
