शकील अहमद
सरोजनीनगर, लखनऊ। राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र स्थित भौकापुर के प्राचीन पचकरिया माता मंदिर में आयोजित त्रिदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शनिवार को भव्य समापन हुआ। इस मौके पर आयोजित विशाल भंडारे में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय माहौल में सराबोर हो गया।
कार्यक्रम का आयोजन सरोजनी नगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह के संरक्षण में किया गया था। कथा का संचालन आचार्य सोनू हरि महाराज के मुखारविंद से हुआ, जिनकी मधुर वाणी में प्रस्तुत भजन और भागवत कथा के प्रसंगों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति और अध्यात्म के भाव में डुबो दिया।
भंडारे में उमड़ा जनसैलाब
कथा समापन के बाद आयोजित विशाल भंडारे में श्रद्धालुओं ने तारा शक्ति रसोई के लजीज व्यंजनों का आनंद लिया। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगे पंडालों, पुष्प सज्जा और दीपमालाओं से सजाया गया था। प्रसाद वितरण की भव्य व्यवस्था देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो गए।
विकास कार्यों की एलसीडी प्रस्तुति बनी आकर्षण
कथा के दौरान श्रद्धालुओं ने विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों की एलसीडी प्रस्तुति भी देखी। बुजुर्ग श्रद्धालुओं ने दोनों हाथ उठाकर विधायक को आशीर्वाद दिया, जो कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण साबित हुआ।
नेताओं और संतों ने की सराहना
समाजसेवी एवं भाजपा नेता विनय दीक्षित ने कहा कि “विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने हमारे क्षेत्र को आध्यात्मिकता का तीर्थ स्थल बना दिया है। उनके प्रयासों से न केवल धार्मिक आयोजन संभव हो रहे हैं, बल्कि सामाजिक एकता भी मजबूत हो रही है।”
वहीं कथा यजमान बाबा पुरुषोत्तम दास महाराज ने कहा कि “इस पावन अवसर को साकार करने में विधायक महोदय का योगदान अविस्मरणीय रहेगा। भगवान पचकरिया माता सभी को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।”
कार्यक्रम में रही क्षेत्रीय एकता की झलक
कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता शंकरी सिंह, विधायक प्रतिनिधि अजीत सिंह, मंडल अध्यक्ष विवेक राजपूत, पार्षद मनोज रावत, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सतगुरु शरण रावत, पुष्पेंद्र यादव, अभिषेक सिंह, पूर्व प्रधान संतोष सिंह, रितेश सिंह, अर्जुन लोधी, नीरज सिंह, प्रीओम सिंह, विकास सिंह, सीरज सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं भक्तगण उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का नेतृत्व क्षेत्र के विकास और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक बन चुका है।
यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि क्षेत्रीय विकास, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक संरक्षण का प्रतीक भी बना। श्रद्धा और सेवा की इस त्रिदिवसीय कथा ने भौकापुर और आसपास के क्षेत्रों में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर दिया।
