लखनऊ। देव दीपावली (05 नवम्बर 2025) पर काशी एक बार फिर प्रकाश, आस्था और संस्कृति के अद्भुत संगम का साक्षी बनेगी। वाराणसी के पवित्र घाटों पर देव दीपावली समितियों, कुण्डों और तालाबों पर स्थानीय समितियों द्वारा एक साथ लाखों दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग, राज्य सरकार तथा महोत्सव समिति द्वारा 10 लाख से अधिक मिट्टी के दीपों की व्यवस्था की गई है। दीपक, तेल व बाती का वितरण राजघाट से प्रारंभ हो चुका है। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।
उन्होंने बताया कि गंगा के घाटों और पार के तटों को मिलाकर दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए 20 सेक्टर बनाए गए हैं, जिनमें प्रत्येक के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं ताकि व्यवस्था सुचारु रहे।
कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां
शुरुआत शंखनाद और डमरू की गूंज से होगी- भगवान शिव की उपस्थिति और काशी की दिव्यता का प्रतीक।
शो में भगवान शिव-पार्वती विवाह, भगवान विष्णु की चक्र पुष्करिणी कथा, भगवान बुद्ध के उपदेश, संत कबीर, तुलसीदास और मदन मोहन मालवीय की प्रेरणादायक गाथाएं प्रस्तुत की जाएंगी।
काशी की संस्कृति, अध्यात्म और परंपरा को एक सूत्र में पिरोता “काशी-कथा” 3D प्रोजेक्शन और लेजर शो कार्यक्रम की खास आकर्षण होगी।
रोशनी और तकनीक का अद्भुत संगम
संयुक्त निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार ने बताया कि श्रद्धालु और पर्यटक 25 मिनट के भव्य शो “काशी-कथा” का आनंद लेंगे। इसके साथ ही 8 मिनट का विशेष लेजर शो भी प्रस्तुत होगा, जो आधुनिकता और अध्यात्म के संगम को दर्शाएगा।
पर्यटकों के लिए 3D प्रोजेक्शन शो का प्रदर्शन तीन बार- रात्रि 8:15, 9:00 और 9:35 बजे किया जाएगा। वहीं श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के सामने 8:00 बजे “ग्रीन आतिशबाजी” का आयोजन होगा, जो पर्यावरण अनुकूल होते हुए भी आकाश को दिव्य रंगों से भर देगी।
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य काशी की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करना है, ताकि देव दीपावली की रात श्रद्धा, सौंदर्य और आस्था का अविस्मरणीय अनुभव बन सके।
