डॉ. राजेश्वर सिंह ने किया अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा का अनावरण, कहा–बलिदान ही स्वतंत्रता की चेतना

शकील अहमद

लखनऊ। सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने शनिवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित हेमू कालाणी चौक पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद हेमू कालाणी की भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। यह चौराहा, जो पहले ‘स्प्रिंगडेल चौराहा’ के नाम से जाना जाता था, अब नए स्वरूप में राष्ट्रीय भावना और गौरव का प्रतीक बन चुका है।

कार्यक्रम में क्षेत्र के हजारों नागरिक उपस्थित रहे, पूरा वातावरण “भारत माता की जय” और “हेमू कालाणी अमर रहें” के नारों से गूंज उठा। प्रतिमा स्थल का सौंदर्यीकरण विधायक निधि से कराया गया, जिससे चौक अब एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रतीक के रूप में उभर रहा है।

19 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए बलिदान

डॉ. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि “वीरता को नमन करना चाहिए, बलिदान को नमन करना चाहिए। जिन आत्माओं ने स्वयं से पहले राष्ट्र को प्राथमिकता दी, वे ही हमारे सच्चे प्रेरणास्तंभ हैं।” उन्होंने बताया कि हेमू कालाणी को केवल 19 वर्ष की आयु में फांसी दी गई थी, क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों की हथियारों से भरी ट्रेन को बोलचिस्तान पहुँचने से रोकने के लिए पटरी उखाड़ने का साहसिक प्रयास किया था। अत्याचारों की असीम यातनाओं के बावजूद उन्होंने अपने साथियों के नाम उजागर नहीं किए और हँसते-हँसते माँ भारती की स्वतंत्रता के लिए फांसी पर झूल गए।

“गुलामी की पीड़ा समझो, तभी स्वतंत्रता का अर्थ जान पाओगे”

डॉ. सिंह ने कहा कि आज़ादी सहजता से नहीं मिली  “भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, खुदीराम बोस जैसे युवाओं ने 18 से 23 वर्ष की उम्र में बलिदान देकर हमें यह स्वतंत्रता दिलाई।” उन्होंने बताया कि जातीय और प्रांतीय संघर्षों ने देश को कमजोर किया, जिसके परिणामस्वरूप हमने 800 वर्षों की गुलामी झेली “भारत की जीडीपी जो 23% थी वह अंग्रेजी शासन में घटकर 2% रह गई।”

“आज की लड़ाई ज्ञान और तकनीक की है”

युवाओं का आह्वान करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि “आज राष्ट्र वैचारिक और डिजिटल हमलों से भी जूझ रहा है। सोशल मीडिया और एआई के ज़रिए समाज को भटकाने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसे समय में युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त होना ही सच्ची देशभक्ति है।” उन्होंने कहा कि हर साल देश में 15 लाख इंजीनियर तैयार होते हैं, परंतु 45% में रोजगार योग्य कौशल की कमी है। सरकार डिजिटल शिक्षा और सस्ते इंटरनेट के माध्यम से अवसर दे रही है, अब युवाओं को खुद को राष्ट्रीय और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना होगा।

“शहीदों की प्रतिमाएं केवल धातु नहीं, हमारे कर्तव्यों की याद हैं”

डॉ. सिंह ने कहा कि सरोजनीनगर में एक साथ सांस्कृतिक और आर्थिक विकास हो रहा है। “अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है, रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा तैयार है, उदा देवी पासी और अवंती बाई लोधी की प्रतिमाएं शीघ्र स्थापित होंगी।” उन्होंने कहा कि ये प्रतिमाएं कर्तव्य की जीवित स्मृतियां हैं, जो हमें याद दिलाती हैं कि राष्ट्र सदा “मैं” से बड़ा है।

सांस्कृतिक चेतना और पर्यावरणीय जिम्मेदारी साथ-साथ

डॉ. सिंह ने बताया कि सरोजनीनगर में विकास की नई दिशा में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ चल रही हैं। अशोक लीलैंड ईवी बस फैक्ट्री, लखनऊ-कानपुर एलिवेटेड रोड, विद्यालयों का कायाकल्प और नए विश्वविद्यालय परिसरों का निर्माण, ये सब विकास के बहुआयामी स्वरूप को दर्शाते हैं।

हर दिन 10 मिनट राष्ट्र के बारे में सोचें”

उन्होंने जनता से अपील की “हर नागरिक प्रतिदिन 5-10 मिनट राष्ट्र के बारे में चिंतन करे। हमें समझना होगा कि अवैध घुसपैठ, धर्मांतरण और पर्यावरणीय उपेक्षा जैसी चुनौतियों से हमें स्वयं निपटना होगा।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारत नवनिर्माण के पथ पर अग्रसर है, “पर जब तक समाज में कर्तव्यबोध नहीं जागेगा, राष्ट्र का विकास अधूरा रहेगा।”

कार्यक्रम में गरिमामय उपस्थिति

इस अवसर पर सिंधी समाज के धर्मगुरु संतजादा साई हरीश लाल साहिब,प्रतिमा के मूर्तिकार प्रो. के. सी. बाजपेयी,कौशलेंद्र द्विवेदी, सतीश अतवानी, सौरभ सिंह मोनू, राजन मिश्रा, राजीव बाजपेयी, रमा शंकर त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, समाजसेवी, वरिष्ठ नागरिक एवं युवाओं ने भाग लिया।

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