चिरमिरी में हरे पेड़ों की कटाई और मिट्टी चोरी पर हंगामा, जेसीबी से जारी खुदाई, प्रशासन और वन विभाग मौन

आर. स्टीफन

चिरमिरी (एमसीबी)। चिरमिरी के बरतूंगा डीएवी पब्लिक स्कूल और भगत सिंह चौक के पास बड़े पैमाने पर जेसीबी मशीनों द्वारा मिट्टी की खुदाई और ट्रैक्टरों से ढुलाई का कार्य जारी है। जहां कभी हरे-भरे पेड़ लहलहाते थे, आज वहाँ मैदान जैसा नजारा दिखाई दे रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इलाका पहले घने वृक्षों से आच्छादित था, लेकिन अब वहां से बड़ी संख्या में पेड़ गायब हो गए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि यह जमीन आखिर किसकी है, एसईसीएल की, राजस्व विभाग की या वन विभाग की?

जनता के सवाल- किसके इशारे पर चल रहा यह अवैध धंधा?

यदि यह जमीन वन विभाग की है, तो अब तक वन विभाग ने कार्रवाई क्यों नहीं की? अगर नहीं है, तो वृक्षों की कटाई की अनुमति किसने दी और कटे पेड़ कहां गए? स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन और जिम्मेदार विभागों की चुप्पी इस पूरे मामले पर सवाल खड़े कर रही है।

प्रशासन मौन, अधिकारी दे रहे टालमटोल जवाब

सूत्रों के अनुसार, इस अवैध गतिविधि की जानकारी संबंधित विभागों तक पहुँच चुकी है, लेकिन अभी तक न तो कोई रोकथाम की गई है और न ही जिम्मेदारी तय की गई है। वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे, वहीं कुछ अधिकारियों ने सिर्फ इतना कहा कि “मामले की जांच कराई जा रही है।”

एसईसीएल प्रबंधन की भूमिका पर भी उठे सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि यह एसईसीएल (SECL) की संपत्ति है, तो कंपनी प्रबंधन इस अवैध खनन और भूमि समतलीकरण पर चुप क्यों है? जनता अब यह जानना चाहती है कि हरे-भरे पेड़ों की कटाई और मिट्टी चोरी का असली दोषी कौन है और किसके इशारे पर यह काम चल रहा है।

जनता की मांग- सच्चाई का जल्द पर्दाफाश हो

स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि वन विभाग, राजस्व विभाग और एसईसीएल के संयुक्त दल से जांच कराई जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि जमीन किसकी है और अवैध खनन के पीछे कौन से प्रभावशाली लोग हैं।

न्यूज़ चैनल निष्पक्ष दर्पण इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है और बहुत जल्द इस पूरे प्रकरण का खुलासा जनता के सामने लाने जा रहा है।

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