आर स्टीफन
चिरमिरी (छत्तीसगढ़)। एमसीबी जिले के चिरमिरी न्यायालय तहसीलदार एवं कार्यपालक दंडाधिकारी कार्यालय में तैनात एक बाबू के कारनामों से अधिवक्ता और आम जनता दोनों परेशान हैं। आरोप है कि यह बाबू पिछले कई वर्षों से इसी कार्यालय में जमे हुए हैं और छोटे-छोटे कामों के लिए भी लोगों से पैसे की मांग करता है।
चिरमिरी न्यायालय के कई अधिवक्ताओं ने मीडिया के माध्यम से बताया कि उक्त बाबू बिना पैसे काम नहीं करता, जो लोग पैसा नहीं देते उनके काम को महीनों तक लंबित रखता है। इससे न्यायालय से जुड़े अधिवक्ताओं और आम जनता को भारी असुविधा हो रही है।
स्थानांतरण के बाद भी यथावत पदस्थ
सूत्रों के अनुसार, उक्त बाबू का विभागीय पदोन्नति और स्थानांतरण दोनों हो चुके हैं। उनका वेतन अब किसी अन्य कार्यालय से निकल रहा है, लेकिन फिर भी वे चिरमिरी तहसील में ही कार्यरत हैं। सवाल यह उठता है कि स्थानांतरण के बाद भी यह बाबू यथावत क्यों बना हुआ है? क्या जिला प्रशासन की कोई ‘कृपा दृष्टि’ इस पर बनी हुई है?
एसडीएम ने कही चौंकाने वाली बात
जब इस मामले पर चिरमिरी के एसडीएम विजेंद्र कुमार सारथी से अधिवक्ताओं की शिकायत के संबंध में जानकारी ली गई, तो उन्होंने मीडिया को बाइट देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि “यह छोटी-मोटी बातें हैं, होती रहती हैं। मेरे पास एक ही बाबू है, अगर उसे हटा दूं तो सारा काम ठप हो जाएगा। और कोई गारंटी है कि दूसरा बाबू सही काम करेगा?” एसडीएम का यह बयान लोगों के बीच और भी चर्चा का विषय बन गया है।
भ्रष्टाचार को मिला संरक्षण
जानकारी के अनुसार, यह बाबू छुट्टी के दिनों में भी “जमानत कराने” का काम करता है। सूत्रों का कहना है कि विभागीय अधिकारी भी इसके संरक्षण में हैं, जिसके चलते छोटे कर्मचारी भी खुलेआम भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
पत्रकार व मानवाधिकार संगठन सक्रिय
इस पूरे प्रकरण को लेकर निष्पक्ष भारतीय पत्रकार संगठन और भारतीय मानवाधिकार महासंघ ने मामले को उच्च अधिकारियों और संबंधित विभागीय मंत्री तक पहुंचाने की घोषणा की है। संगठनों ने कहा है कि वे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ पारदर्शी जांच और उचित कार्रवाई की मांग करेंगे।
